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लेखनी प्रतियोगिता -10-Aug-2023 डरावनी रात


शीर्षक = डरावनी रात 


रात के बारह बज चुके थे, ज़ब स्टेशन पर रेल गाड़ी ने मुझे छोड़ा था, मेरे दोस्त ने मुझे बताया तो था कि तुझे मेरे गांव पहुंचते पहुंचते रात हो जाएगी और कोई सवारी भी नही मिलेगी जो तुझे मेरे घर तक पंहुचा देगी इसलिए तू वही रुकना मैं खुद लेने आऊंगा।


वैसे तो मेरा कोई इरादा नही था उसके गांव आने का लेकिन उसने अपनी शादी का निमंत्रण भेजा था और कहा भी था कि वो उसका इंतज़ार करेगा वो आएगा तो उसे बहुत ख़ुशी होगी, आखिर कार दोनों ने एक साथ आर्मी की ट्रेनिंग ली थी उसी दौरान अच्छे दोस्त बन गए थे लेकिन अलग अलग जगह पोस्टिंग होने पर बस फ़ोन ही बात करने का माध्यम बन गया था, इसी बहाने उससे मुलाक़ात भी हो जाती इसी सोच के साथ अपना बेग उठा के दिल्ली से सीधा उसके गांव को जाने वाली ट्रैन पकड़ ली थी, और अब रात के बारह बजे ट्रैन ने मुझे उसके गांव के स्टेशन पर छोड़ा और अपने अगले गंतव्य की और बड़ गयी


हैरानी की बात ये थी कि उस गाड़ी से रात के उस पहर सिर्फ मैं ही उतरा था, स्टेशन पूरा खाली पड़ा था, रात के अँधेरे में वो किसी भूतीय स्टेशन से कम नही मालूम पड़ रहा था, कोई और होता तो शायद डर कर वही मर जाता लेकिन मैं तो एक आर्मी ऑफिसर हूँ,,, भला कैसे डर कर भाग सकता था


बस इसी सोच विचार के साथ मैं आगे बड़ा, लेकिन आगे बढ़ने का कोई फायदा नही था, चारो और अंधेरा ही अंधेरा था, बदकिस्मती केहलो या संयोग शायद आज अमावस्या की रात थी जिसके चलते आसमान ने भी काली चादर ओढ़ी हुई थी, जिसके चलते चाँद के निकलने की भी कोई सम्भावना नही थी,अब बस दोस्त के आने के इंतज़ार के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नही बचा था, मोबाइल में भी नेटवर्क नही आ रहे थे, जो उसे फ़ोन करके अपने पहुंचने की इत्तेला दे देता


दूर जंगलो से कुत्तो और भेड़ियों के रोने की आवाज़े और झींगुर की आवाज़े सच में उस रात को एक डरावनी रात बना रही थी, बिलकुल ऐसी जैसे कि भूतिया फिल्मों या ड्रामो में दिखाते है,,, चारो और सन्नाटा और दूर से आती भेड़ियों की आवाज़े जिसे सुन और देख अच्छे अच्छे की हवा ख़राब हो जाए


मैं वही पर बनी एक सीमेंट की कुर्सी पर बैठ गया और उस डरावनी रात का आंनद लेने लगा, वैसे भी मुझे ऐसी जगह पसंद है और तो और डरावने नॉवेल हो या फिल्मे मेरी पसंदीदा है, अभी भी मेरे बेग में एक नॉवेल रखा हुआ था जो की हॉरर ही था सोचा उसे निकाल कर पढ़ लेता हूँ, वैसे चारो और तो अंधेरा था लेकिन एक बल्ब था जो जल रहा था, उसी की रौशनी में बेग से नॉवेल निकाल कर पढ़ने लगा जो कि शायद मैंने किसी सफर के दौरान खरीदा था पर शायद पढ़ नही पाया था, उस डरावनी रात में हॉरर नॉवेल पढ़ना मानो आ बैल मुझे मार वाली कहावत को हकीकत में बदलने जैसा था, खेर मैंने नॉवेल पढ़ना शुरू ही किया था शायद से एक दो पन्ने ही पढ़े थे कि अचानक सामने ट्रैन की पटरी पर कुछ अजीब सा होता नजर आया

नजर उठा कर देखी तो हक्का बक्का सा रह गया, क्यूंकि आसमान में चाँद पूरा नजर आ रहा था, और तो और वो चाँद सफ़ेद ना होकर लाल रंग का था,उससे निकलने वाली चांदनी ज़ब फूलों पर पड़ रही थी तब सारे फूल गुलाबी रंग के नजर आ रहे थे

ये क्या माजरा था मेरी समझ में नही आ रहा था, आसमान में चाँद वो भी अमावस्या को और लाल रंग का ऐसा कैसे हो सकता है,,, इससे पहले की वो गुथथी सुलझ थी कि तब ही आसमान से कुछ सीड़िया सी उतर कर जमीन से आ लगी और उन पर लाल रंग के जोड़े में सजी एक दुल्हन जो कि किसी राजकुमारी से कम नही लग रही थी उन सीड़ियों से उतर कर नीचे आ रही थी उसके स्वागत में पेड़ो पर लगे वो फूल जो कि गुलाबी हो गए थे उसके ऊपर गिर रहे थे


धीरे धीरे चल कर वो उन सीड़ियों से नीचे आ रही थी, मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा धरती लोक पर आ रही हो, उसकी चाल बिलकुल कस्तूरी मर्ग जैसी प्रतीत हो रही थी, वो नीचे आयी तब ही एक हाथ उसकी और बड़ा एक बहुत ही खूबसूरत सा नौजवान जो किसी राजकुमार से कम नही लग रहा था उसका हाथ अपने हाथ में थाम कर वो एक खूबसूरत से महल में जाने लगा तब ही वहाँ कुछ ऐसा हुआ एक अदृश्य शक्ति जो की एक उल्का पिंड की भांति उन दोनों के दरमियाँ आकर गिरी जिसे देख वो दोनों घबरा जाते है, उनके चहरे पर पड़ रही चिंता की लकीरें इस बात का सबूत थी कि वो अदृश्य शक्ति उन्हें अलग करने के लिए वहाँ आयी है, देखते देखते ही वो उल्का पिंड एक ख़तरनाक जानवर में बदल गया जिसका आधा जिस्म इंसान का और बाकी आधा जानवर का था, वो उन दोनों को अलग कर देना चाह रहा था, दोनों में काफ़ी लड़ाई होती है, वो लड़का जो की एक राजकुमार प्रतीत हो रहा था पूरी तरह घायल हो चुका था वो लड़की उसकी हालत देख रो रही थी और उससे हाथ जोड़ कर उसकी जान बख्शने का कह रही थी, लेकिन वो उसकी एक नही सुन रहा था तब ही अचानक उस लड़की की फरियाद सुन एक और शक्ति धरती पर प्रकट होती है, जो की उस खूंखार का सामना करती है, वो शक्ति कोई और नही बल्कि उन दोनों के प्यार की ताकत थी वो लड़की एक राजकुमारी थी जिसे एक क्रूर राजा उठा कर ले आया था उसके रंग रूप पर मोहित होकर उसे किसी से मिलने नही देता था वो उदास रहती थी उसके माता पिता भी उसके सामने घुटने टेक चुके थे, राजकुमारी उदास रहने लगी थी फिर एक दिन उसकी मुलाक़ात एक अनजान शख्स से होती है ज़ब वो अपनी दासियों के साथ बाहर गयी, दोनों को एक दुसरे से प्यार हो गया था जिसकी भनक  उस राजा को लग गयी उसने उन दोनों को मरवा दिया, लेकिन ज़ब उसे किसी ने बताया की उनका मिलन धरती पर तो तुमने रोक लिया था लेकिन स्वर्ग में वो जरूर मिलेंगे और शायद आज उनकी मिलन की ही रात थी इसलिए ही तो वो दुल्हन बनी स्वर्ग की सीड़ियों से उतर रही थी, राजा अपनी पसंद को किसी और का नही होने देना चाहता था इसलिए उसने खुद को भी ख़त्म कर लिया और अपनी आत्मा एक अघोरी को दे दी ताकि वो एक शैतान बन कर उनका मिलन रोक सके, और अब वो ही था जो खुंखार शैतान बन कर उन दोनों को मार रहा था लेकिन तब ही उन दोनों के प्यार की ताकत ने उसका खात्मा कर दिया धरती पर तो उसने उन्हें अलग कर दिया था लेकिन स्वर्ग में उन्हें अलग नही कर सकता था


आखिर कार उस शैतान का खात्मा हो गया, और वो दोनों महल के अंदर चले गए उनके प्यार की जीत हो गयी


मैं बैठा ये सब देख ही रहा था, कि मुझे ऐसा मालूम पड़ा कि कोई मेरा कांधा दबा रहा है, या मुझे हिला रहा है,, मुड़ कर देखा तो एक शख्स खड़ा था जिसका चेहरा थोड़ा धुंधला धुंधला नजर आ रहा था, उसने मेरा नाम लिया रवि साहब,,, मेजर रवि साहब,,, आप ही हो


मैं घबरा कर उठा,,, तो देखा रात पहले से ज्यादा काली हो चुकी थी,,, घड़ी पर धयान दिया तो रात के 3 बज चुके थे, जिस नॉवेल को पढ़ने के लिए निकाला उसी पर सौ गया था

अब ध्यान सामने खडे आदमी पर पंहुचा और खुद को सँभालते हुए कहा " हाँ,,, हाँ,,, मैं ही हूँ,,, क्या तुम्हे मेरे दोस्त ने भेजा है "


जी साहब,,, छोटे साहब ने ही भेजा है,,,, माफ करना गाड़ी ख़राब हो गयी थी,,, इसलिए इतना टाइम लग गया,,,, यहाँ नेटवर्क भी काम नही करते हम आपको फ़ोन कर रहे थे लेकिन लग नही रहा था, चलिए अब चलते है, पास खडे उस आदमी ने कहा


"लेकिन,, अशोक ने तो कहा था वो खुद लेने आएगा " मैंने कहा


"जी, वही लेने आने वाले थे, लेकिन मालिकन की तबीयत ख़राब हो गयी अचानक इसलिए उन्हें शहर जाना पड़ा, मुजसे कहा था लेकिन गाड़ी ख़राब हो गयी " उस आदमी ने कहा


शुकर है तुम आ तो गए,,, मुझे तो लगा सुबह यही हो जाएगी,, मैंने उनसे कहा और उनके साथ चल दिया लेकिन मेरी नजरें अभीवही थी उसी जगह जहाँ वो दृश्य चल रहा था, फिर मुझे याद आया कि वो तो ख्वाब था,


मैं गाड़ी में बैठा हाथ में नॉवेल पकड़ा बैठा था कि अचानक उसके कुछ पन्ने अपने आप ही उड़ गए और मेरी नजर जहाँ गयी उसे पढ़ कर मैं हैरान रह गया क्यूंकि जो उसमे लिखा था वो मैंने देखा था,,, उस सपने में,,, खेर उसका घर आ गया था और मेरा दोस्त दरवाज़े पर खड़ा मेरा इंतज़ार देख रहा था, मैं उसके गले लगा उसने मुझसे माफ़ी मांगी इस तरह मुझे न लेने आने के लिए,,मैं भी चहरे पर मुस्कान सजा कर उसके साथ अंदर चला गया...



समाप्त....

प्रतियोगिता हेतु 

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6 Comments

madhura

19-Aug-2023 07:07 AM

very horror story amazing

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KALPANA SINHA

11-Aug-2023 10:19 AM

Very dangerous story

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Seema Priyadarshini sahay

11-Aug-2023 10:11 AM

बापरे सचमुच बहुत ही डरावनी रात थी। बहुत अच्छी कहानी

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